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शुक्रवार, 14 नवंबर 2014

वक़्त वक़्त की बात

            वक़्त वक़्त की बात

रहता किसी  का  वक़्त  कभी  एक सा नहीं
किस्मत बदलती सबकी जब आता समय सही
रहती  है  दबी  ,आठ माह ,बक्से  के अंदर
मौसम में सर्दियों के जब  आती है निकल कर
तो प्यार सबका कितना फिर पाती रजाइयां
कितने  हसीन  जिस्मो  पर, छाती रजाइयां
हम भी रजाई की तरह ,अरमान   दबाये
बैठे है इन्तजार में  कि  अच्छे  दिन आएं
किस्मत हमारी ,हम पे भी हो  जाये मेहरबाँ
हमको भी अपनी बाहों में भर लेगी  दिलरुबां

घोटू

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