एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

सोमवार, 18 मार्च 2024

मैं फिट हूं 


उमर बयांसी पार हो गई ,

मैंने खुद को फिट रक्खा है 

फिर भी कुछ ना कुछ तकलीफें ,

हो जाती  इक्का दुक्का है 


उम्र जन्य सारी बीमारी ,

सबको होती, मुझको भी है 

अब चलने पर घुटने भारी 

सबके होते, मेरे भी हैं 

थोड़ा ऊंचा भी सुनता हूं 

आंखों में है धुंधलापन भी 

याददाश्त भी साथ में देती

हाथ पांव में बचा न दम भी 

लेकिन मैंने कमजोरी को ,

लोगों के आगे ढक्का है 

उमर बयांसी पार हो गई ,

मैंने खुद को फिट रक्खा है 


मंद हो गई पाचन शक्ति 

और भूख भी लगती कम है 

ज्यादा चललो ,सांस फूलती 

कमजोरी का यह आलम है 

काम धाम ना कुछ करने को 

डूबा रहता हूं आलस में 

ज्यादा कोई परिश्रम करना 

रहा नहीं अब मेरे बस में 

चुस्ती फुर्ती सभी खो गई 

तन रहता थक्का थक्का है 

उम्र बयांसी पार हो गई 

मैंने खुद को फिट रक्खा है 


हुई भूलने की बिमारी,

याद न रहते नाम किसी के 

याद मगर आते रहते हैं 

यौवन के दिन हंसी खुशी के 

बच्चे मेरी बात न सुनते 

घर में मेरी ना चलती है 

मैं मिठाई का प्रेमी लेकिन

खान-पान पर पाबंदी है 

फिर भी मैंने पकवानों को 

चुपके चुपके से चख्खा है 

उम्र बयांसी पार हो गई 

मैंने खुद को फिट रक्खा है


मदन मोहन बाहेती घोटू

बुधवार, 6 मार्च 2024

होली का त्योहार 


आओ आओ मनाए सब यार 

प्यार से होली का त्यौहार

रंगों के संग खुशियां बरसे,

उड़े अबीर गुलाब 

मनाएं होली का त्यौहार 


यह प्यारा त्यौहार रंगीला 

हर कोई है नीला पीला 

धूम मच रही है बस्ती में 

झूम रहे हैं सब मस्ती में 

आपस में कोई भेद नहीं है 

जीवन का आनंद यही है 

ले पिचकारी, सभी कर रहे

 रंगों की बौछार 

मनायें होली का त्यौहार



रात होली का दहन किया था

बैर भाव सब जला दिया था 

नारायण का नाम लिया था 

प्रभु भक्त प्रहलाद जिया था 

इस खुशी में रंग बरसा कर 

खुश होकर के, हंसकर गाकर 

भाईचारा मेलजोल से 

है आनंद अपार 

मनाएं होली का त्यौहार 


ऐसा प्यार फाग है आया

घर-घर में अनुराग है लाया 

आज सभी पर रंग चढ़ा है

मतवाला अनंग चढ़ा है 

एक दूजे पर रंग लगाते 

सबसे मिलते हंसते गाते 

मस्ती में सारी बस्ती है

 रंगों से गुलजार 

मनाएं होली का त्यौहार


मदन मोहन बाहेती घोटू

मंगलवार, 13 फ़रवरी 2024

कभी खुद से भी प्यार करके देखो 

आप पत्नी से प्यार करते हो, करो 
आप बच्चों से प्यार करते हो, करो 
आप परिवार से प्यार करते हो,करो 
आप मित्रों से प्यार करते हो, करो 
पर इन सब पर प्यार लुटाने के चक्कर में कभी भी नहीं झांकते हो अपने अंदर में कभी स्वयं पर भी उपकार करके देखो कभी खुद से भी तो प्यार करके देखो

पत्नी को नई साड़ी चाहिए ,दिलवा दोगे बच्चों को नए खिलौने चाहिए , ला दोगे परिवार की जरूरत पर सदा जोर दिया है क्या अपनी बनियान के छेदों पर गौर किया है 
कभी खुद के लिए भी नए सूट सिलवाओ अपने लिए ब्रांडेड स्पोर्ट्स शूज ले आओ आज तक तुमने दिन-रात खट कर जो कमाया है 
क्या कभी थोड़ा सा उसका सुख उठाया है ठेले पर ₹10 के पांच गोलगप्पे खाकर खुश हो जाते हो 
किसी पांच सितारा होटल में लंच क्यों नहीं खाते हो 
तुमने एक दो छोटे तीर्थ करके जिंदगी गुजार दी है 
जरा खोह से निकल कर देखो ये दुनिया कितनी बड़ी है 
भगवान ने यह दुनिया बनाई है इतनी सुंदर और तुम सिमट कर रहते हो चार दिवारी के अंदर
कभी पंख लगा कर हवाई जहाज में भी उड़ो
हिल स्टेशन पर जाकर बर्फीले पहाड़ों से भी तो जुड़ो 
देश-विदेश की सैर करो, वहां की संस्कृति को जानो
ईश्वर ने जो इतनी बड़ी दुनिया बनाई है,,
उसे पहचानो 
जो इतना कमाया है खुद पर भी खर्च करो, मजा लो 
बुढ़ापे में जीवन का सारा आनंद उठा लो वरना जब ऊपर जाओगे तो ऊपर वाला पूछेगा 
जो मैंने इतनी बड़ी दुनिया बनाई है तुमने क्या देखा 
तुम्हारे पास जवाब ना होगा तो वह खफा होकर 
फिर से एक बार भेज देगा तुम्हें धरती पर और तुम फिर मृत्युलोक के 84 के चक्कर में फंस जाओगे 
तुम्हें मोक्ष नहीं मिल पाएगा और ना भवसागर तर पाओगे
इसलिए जितना भी हो सके, घूमो, फिर कर के देखो
खुद पर भी खर्च करो,खुद से प्यार करके देखो

मदन मोहन बाहेती घोटू 

आज मेरा जन्मदिन है


आज मेरा जन्मदिन है ,

आज मैं पैदा हुआ था

कोख से मां की निकल कर,

धरा को मैंने छुआ था 


निकले थे मेरे गले से 

सबसे पहले रुदन के स्वर 

मैं था रोया,खुश हुई मां,

जिंदगी में प्रथम अवसर 

मुझे चपटा, अपने सीने से 

बहुत प्रमुदित हुई वो

सहला ममता भरे हाथों 

से थी आनंदित हुई वो

आंख पहली बार खोली 

माता का चेहरा दिखा था 

मधु से मेरी जुबान पर 

*ओम*पापा ने लिखा था 

गोद में मुझको लिया था 

और चूमा मेरा माथा 

आज मेरा जन्मदिन है 

आज मैं पैदा हुआ था 


मां  ने कांधे से लगाया ,

कभी गोदी में सुलाया

भूख लगती, जो मैं रोता 

पान स्तन का कराया

झुलाती थी पालने में 

लोरियां मुझको सुनाती 

करता जब गीला बिछौना 

सूखे में मुझको सुलाती 

मां ने मुझको पालने में 

प्यार था सारा लुटाया 

पकड़ कर के मेरी उंगली 

मुझको था चलना सिखाया 

सफलता सोपान चढ़ने,

रहा आशीर्वाद मां का 

आज मेरा जन्मदिन है 

आज मैं पैदा हुआ था 


संग समय के ,एक पादप 

की तरह विकसित हुआ मैं

स्नेह से माता-पिता के 

हमेशा सिंचित हुआ मैं

बड़ा आगे ,प्रगति पथ पर 

लगी ठोकर ,चोट खाया 

प्यार से मां ने संभाला 

हौसला मेरा बढ़ाया 

किया मेरा पथ प्रदर्शन 

सफलता की कामना की 

आज जो कुछ भी बना हूं,

मेहरबानी है यह मां की 

किये हैं उपकार इतने 

मैं कभी ना भूल पाता 

आज मेरा जन्मदिन है 

आज मैं पैदा हुआ था


मदन मोहन बाहेती घोटू

बुधवार, 7 फ़रवरी 2024

पूंछ अब बाकी है 


हाथी तो निकला यार , पूंछ अब बाकी है 

हम हो गए अस्सी पार, पूंछ अब बाकी है


ऊपर नीचे ,नीचे ऊपर 

पग पग हमने खाई ठोकर 

किसी गैर ने प्यार लुटाया ,

ठगा किसी ने, अपना होकर 

हम गिर,संभले हर बार, पूंछ अब बाकी है

हम हो गए अस्सी पार,

पूंछ अब बाकी है


चली सवारी ,सदा शान से 

दम न किसी में था जो रोके 

हमको कोई फर्क पड़ा ना ,

चाहे कितने कुत्ते भोंके 

हम बढ़ते रहे चिंगाड़,

पूंछ अब बाकी है

हम हो गए अस्सी पार,

पूंछ अब बाकी है 


बने इंद्र के कभी ऐरावत 

पूजित हुए गजानन प्यारे

कभी सूंड में पानी भर कर,

लक्ष्मी जी के पांव पखारे 

किया कितनों का उद्धार

पूंछ अब बाकी है

हम हो गए अस्सी पार, पूंछ अब बाकी  है


बाकी बचा पूंछ सा जीवन 

अब मस्ती से काटेंगे हम 

मोह माया को छोड़ जियें हम 

करते रहे प्रभु का सिमरन 

करेंगे भवसागर को पार,

पूंछ अब बाकी है

हम हो गए अस्सी पार, पूंछ अब बाकी है


मदन मोहन बाहेती घोटू

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-