जीवन तो है चाट चटपटी
जीवन तो है तला पकोड़ा ,मस्त चटपटा ,गरम गरम ,
कोई चेप चेप चटनी से,इसके मज़े उठाता है
है परहेज किसी को मिर्ची से या तली वस्तुओं से ,
'क्लोस्ट्राल 'नहीं बढ़ जाए ,खाने में घबराता है
आलू की टिक्की सा यौवन,गरम गरम ,सौंधी खुशबू,
जैसे लगता चाट चटपटी,मुंह में आता है पानी
कोई 'टोन्सिल 'से डरता है तो कोई 'इन्फेक्शन 'से,
मन ललचाता फिर भी खाने में करता आना कानी
एक गोलगप्पे से जैसा ,जब हो खाली ये जीवन,
इसमें भरो चटपटा पानी ,मुंह में रख्खो ,खा जाओ
तीन समोसे के कोनो में ,तीन लोक दर्शन कर लो ,
जी भर इनका मज़ा उठाओ, निज मन को मत तरसाओ
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
राजनीति नारी का अपमान न करे
-
भाजपा और अंधभक्त आज सत्ता के नशे में चूर नजर आ रहे हैं और इसका जीता जागता
प्रमाण वे स्वयं प्रस्तुत कर रहे हैं. विपक्ष के नेताओं को लेकर भाजपा के बड़े
ब...
19 घंटे पहले
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।