पते की बात
धीरज
बारिश आई और आपने छतरी तानी
आप न भीगे ,रहे बरसता ,कितना पानी
तंग आपदाएं करती ,जीवन में आकर
धीरज की छतरी रखती है तुम्हे बचाकर
घोटू
775. वक़्त आ गया है
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वक़्त आ गया है
***
अक्सर सोचती हूँ
हर बार, बार-बार
मैं चुप क्यों हो जाती हूँ?
जानती हूँ, मेरी चुप्पी हर किसी को भा रही है
पर मुझे भीतर से खोखला कर...
3 घंटे पहले
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