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शनिवार, 3 सितंबर 2016

स्वागत है आहान तुम्हारा

    स्वागत है आहान तुम्हारा

तुम्हारी प्यारी किलकारी ,गुंजा रही घर
तुमने आ आहान ,हृदय,आल्हाद दिया भर
देख तुम्हारी क्रीड़ाएं ,खुश है घर सारा
परिवार में ,स्वागत है ,आहान ,तुम्हारा
इस बाहेती परिवार की नवआकृति तुम
अक्षय और तृप्ती की ,उत्कृष्ट कृति  तुम
तुम्हारी चंचल क्रीड़ाएं ,मोह रही मन
मूल तुम्हारा भारत में ,पर हो अमरीकन
तुमने आकर ,घर भर में खुशियां फैलादी
बना दिया ,प्यारी रेणु अम्मा को दादी
हम सब खुश है,मन में खुशियां इतनी ज्यादा
पुलकित रहते ,तुम्हारे ,आध्यात्मिक दादा
सुना आजकल ,क्लिनिक से जल्दी घर आते
खुश है इतने ,दो रोटी है ज्यादा खाते
देख सुखद परिणाम ,ब्याह का,प्रेरित होकर
शायद तुम्हारे चाचू भी ,ले शादी कर
तुम दिल्ली में आये ,तुमने रौनक ला दी
भुवा दादियों को सोने की चेन दिलादी
देते आशिर्वाद सभी हम ,अंतरतर से
जग के सब सुख तुम्हारी झोली में बरसे
बढे बनो,सबके जीवन में खुशियां भर दो
 परिवार  का नाम और भी रोशन करदो
रहो खेलते ,खुशियों से ,यूं ही जीवन भर
तुमने आ आहान ,ह्रदय आल्हाद दिया भर

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

गुरुवार, 1 सितंबर 2016

एक सच ये भी

        एक सच ये भी

भले ही इन इमारतों की बढ़ती हुई ऊंचाई ने ,
मुझकोमेरे अदनेपन का अहसास करवाया है
और इन अट्टालिकाओं ने ऊंचा उठ कर के ,
सुबह सुबह की मेरी धूप को भी खाया  है
ये सच है कि मेरा मुकाम उनसे नीचा है ,
और वो ऊंचे से महलों में वास करते है
मगर मैं उनसे सर उठा के बात करता हूँ
और वो मुझसे सर झुका के बात करते है ,
 
२ 

सुना है आजकल वो बन गए है शुगरमिल ,
डाइबिटीज है, काफी शुगर बनाते है
मगर वो हो गए कंजूस इस कदर से है,
जरा भी बोली मे ,मिठास नहीं लाते है

मदन मोहन बाहेती'घोटू '

कब आएगी ?

        कब आएगी ?

लेटे लेटे ,मैं तो करता यूं ही प्रतीक्षा,
किन्तु नींद को जब आना है ,तब आएगी

सूरज अस्त हो गया ,तारे नज़र आ रहे ,
धीरे धीरे पसर रही रजनी  काली है
कृष्णपक्ष का चाँद दे रहा है संदेसा ,
रात अमावस की जल्दी आनेवाली है
मौन और स्तब्ध ,दिशाएँ सब की सब है
गहन तिमिर है और सब तरफ सन्नाहट है
धक् धक् करती धड़कन के स्वर ऐसे लगते ,
जैसे कोई के  पदचापों की  आहट  है
मैं बेचैन बहुत हूँ,बाहुपाश में लेकर ,
कब वो मेरी आंखों में आ बस जायेगी
लेटे लेटे मैं तो करता यूं ही प्रतीक्षा ,
किन्तु नींद तो जब आना है तब आएगी

यूं ही मौन ,अकेला ,निश्चल पड़ा हुआ हूँ,
मन्द हवा के झोंकों सी आती है यादे 
जीवन भर के कितने ही  खट्टे मीठे पल ,
कुछ यौवन के प्यारे से वो पल उन्मादे
बार बार पलकें झपका कर कोशिश करता ,
भूल जाऊं,पर रह रह कर वो तड़फाते है
करवट लेता हूँ तो कुछ ऐसा लगता है ,
बिस्तर में कुछ कांटे है ,चुभ चुभ जाते है
कब वह ठगिनी ,चुपके से आकर ,सहलाकर ,
मेरी पलको को,मेरा मन बहलाएगी
लेटे लेटे ,मैं तो करता ,यूं ही प्रतीक्षा,
किन्तु नींद को जब आना है ,तब आएगी

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
 

बदलती परम्पराएं

       बदलती परम्पराएं

मेरे देश को,जाने नज़र लगादी किसने
टूट रहे परिवार ,लगे है रिश्ते ,रिसने
आयी पश्चिम से जबसे ये हवा नयी है
परिवार की ,परंपराएं ,बदल गई   है
अच्छे अच्छे संस्कार ,तब पाते थे हम
मातपिता औरगुरु को शीश नमाते थे हम
वह सुन्दर परिवेश,बड़ा सुखमय प्यारा था
पूरे गाँव ,मोहल्ले में , भाईचारा  था
मिलजुल करके ,सब सारे त्योंहार मनाते
एक  दूसरे के सुख दुःख में हाथ बंटाते
पर अब रिश्ते ,गुब्बारों से फूट रहे है
परिवार,तिनके तिनके हो,टूट रहे है
इतना अधिक विषैला हुआ वायुमण्डल है
खिला हुआ उपवन ,बन रहा ,मरुस्थल  है
परम्परागत सभी मान्यता नष्ट हो रही
नवपीढ़ी की सदबुद्धि है भ्रष्ट हो रही
बिगड़ रहा माहौल ,इस तरह है तूफानी
बात ,बाप की नहीं मानता ,बेटा ज्ञानी
उसका बेटा  ,परम्परा जब ये जानेगा
तो फिर उसकी बात भला वो क्यों मानेगा
क्षतविक्षत परिवार इस तरह हो जायेगे
क्या निज संस्कृति को हम कभी बचा पाएंगे ?

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

'लिव इन रिलेशनशिप '

'लिव इन रिलेशनशिप '

ना तुम लैला ,ना मै मजनू ,
ना तुम शीरी,मै  फरहाद
मंहगाई में जीना मुश्किल,
इसीलिये हम रहते साथ
'लिव इन रिलेशनशिप'याने कि ,
रिश्ता संग संग रहने का
एक दूजे संग ,हाथ बटा कर,
सुख दुःख  सारे सहने का
यूं भी लड़की ,रहे अकेली,
तो जीना अति मुश्किल है
बहुत भेड़िये ,घूमा करते ,
जिनकी नीयत कातिल है
इनसे बचने का ये भी ,
आसान तरीका लगता है
एकाकीपन से बच जाते ,
और खर्चा भी बंटता  है
लड़का वर्किंग,लड़की वर्किंग,
थके हुए जब घर आते
एक दूसरे का थोड़ा सा ,
साथ,सहारा पा जाते
कई बार यूं संग संग रहना,
शौक नहीं,मजबूरी है 
यूं भी परख ,एक दूजे की,
करना बहुत जरूरी है
यह तो एक रिहर्सल सी है,
आने वाले जीवन की
आपस की 'अंडरस्टेंडिग '
और मिल जाने की,मन की 
ऐसे साथी ,समझ सके जो ,
एक दूसरे के जज्बात
आपस में यदि,दिल मिल जाते,
तो फिर बन जाती है बात
घरवाले,कोई के पल्ले,
बांधे,इससे ये अच्छा
ऐसा जीवन साथी ढूंढो ,
प्यार करे तुमसे सच्चा
कई बार कुछ बातें होती,
जो करवाते है  हालात
मंहगाई में जीना मुश्किल ,
इसीलिये हम रहते साथ

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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