एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

मधुबाला झा लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
मधुबाला झा लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 31 मई 2012

ख़ामोशी ....


"खामोश हो तुम ,
पर कुछ कहती हो "
ऐसा कहते हो तुम अकसर !
"दिन में तारे गिनती रहती हो , 
खुली आँख से सपने बुनती हो ,
अछर धुंधला सा है, लेकिन ,
एक खुली किताब सी लगती हो तुम "
ऐसा कहते हो तुम अकसर ! 
"कभी बोलती थकती नही,
जैसे सारे जग का ज्ञान तुम्हे है !
कभी चुप शांत भोली सी,
जैसे कोई नादाँ हो तुम "
ऐसा कहते हो तुम अकसर !
"ख़ामोशी में तेरी बातों को ,
सुन लिया हैचुप से मैंने भी ,
आँखों के तेरे सपनों को ,
बुन लिया है मैंने भी ,
तुम किताब हो तेरी कविता ,
को पढ़ लिया है मैंने भी ,
तेरा बोलना हो या चुप रहना,
मुझको सब अच्छा लगता है !
तेरी बातों में मुझको,
बचपन का सब सच लगता है! "
मुझको याद नहीं है लेकिन ,
ये सुब मुझसे कभी कहा हो !
खामोश हो तुम,
पर कुछ कहती हो, ऐसा कहते हो तुम अकसर .....



हलचल अन्य ब्लोगों से 1-