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मंगलवार, 24 सितंबर 2013

तू सृजन की शक्ति

तू सृजन की शक्ति 
मै जगत का आधार 
ये संसार आधा तेरा 
ये संसार आधा मेरा 

मै दिन का दीवानापन 
तू रात की सुख चैन 
ये सुख दुःख आधे तेरे 
ये सुख दुःख आधे मेरे 

मै दुखो में बहता अमृत 
तू ख़ुशी से बहती आंसू
ये आंसू आधे तेरे 
ये आंसू आधे मेरे 

तू बागो की मोहक खुशबु 
मै खुशबु का फुल 
ये गुलशन आधा तेरा 
ये गुलशन आधा मेरा 

...............अमित

एक चुप्पी

एक चुप्पी, 
तुम्हारे और मेरे दरमियाँ है ,
तुम्हारे इतने करीब होकर भी 
बेशुमार दूरियाँ है ;

बाते तो कहने को हजार है 
लेकिन कैसी मजबुरियाँ है 
तुम्हारे लफ्ज, 
मेरे लफ्जो पे संवर भी नहीं पाते है 
क्यों शब्द बिखर-बिखर रह जाते है |

जुबान पे आते आते ऐसा क्यों 
जज्बात आँखों से
पिघल पिघल के गिर रहे है 
ऐसा लगे बरसो बाद 
बिछड़े दिल मिल रहे है ...

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