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गुरुवार, 16 फ़रवरी 2012

हम बच्चे एक ही माँ के (अनमोल बोहरा "अमोल")

हम बच्चे एक ही माँ के नाम उसका भारत माई ………….

हम हूण- द्रविड़ -मंगोल तो सब बाद में है
याद रखो सबसे पहले तो हम एक इंसान है

कौम के झगड़ों में मिट गए बड़े- बड़े तुर्रम खाँ
अमर कहलाये सिर्फ वही जो वतन पे लुटा गए
अपनी जाँ........अपनी जाँ .................

आओ मिलकर छेडें दोस्तों सब एकता की जंग
आओ कंधे से कन्धा मिलाकर एक सुर में बोलें
हम वन्दे मातरम .......वन्दे मातरम ....

क्या हिन्दू क्या मुस्लिम क्या सिख औ ईसाई
हम बच्चे एक ही माँ के नाम उसका भारत माई |

आओ "अमोल" सब मिलकर पूरी करें शहीदों की अधूरी जंग
शहीदों के अधूरे सपनों में आज भर दे हमारे लहू का रंग |
रचनाकार:-
अनमोल बोहरा "अमोल"

बुधवार, 1 फ़रवरी 2012

चबा के अपनी जेबों में हिंदुस्तान रखते हैं

सीमाओं पर ये फौजी अपनी हथेली पे जान रखते हैं
अजीब सरफिरे हैं जो खुद को वतन पे कुर्बान करते हैं |

खुश रहे सलामत रहे उनके वतन का आम-ओ खास
गजब हैं फौजी कितना असल खुदका ये इमान रखते हैं |


उन्हें क्या पता की कैसे कैसे देश में हुक्मरान रहते हैं
जो चबा -चबा के अपनी जेबों में हिंदुस्तान रखते हैं |

मेरे देश में ये कैसी हवाएं चली है आजकल दोस्तों
वतन के गद्दार ही यहाँ फ़ौज पर शासन करते हैं |

अब सजा के क्या क्या बेचोगे "अमोल" यहाँ तुम
पंडित-मुल्ला भी यहाँ जेबों में कफ़न लिए घूमते हैं |

(यह रचना "काव्य संसार" फेसबुक समूह से ली गयी है ।)

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