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सोमवार, 9 अप्रैल 2018

न मैं चाहता हूँ ,न दिल चाहता है 

कभी जिंदगी में ,जुड़ा तुमसे होना ,
न मैं चाहता हूँ ,न दिल चाहता  है 

पलकों पे तुमको बिठाये रखा है 
मंदिर में दिल के सजाये रखा  है 
फूलों से नाजुक ,तुम्हारे बदन को ,
 कलेजे  से अपने ,लगाये  रखा है 
खुशबू से इसकी ,कभी दूर होना ,
न हम चाहतें है ,न दिल चाहता है 

भले दो जिसम पर,एक जान है हम 
एक दूसरे की तो ,पहचान है हम  
संग संग जियेंगे, संग संग  मरेंगे ,
सदा एक दूजे पर ,कुरबान है हम 
हमारी वफ़ा में ,कभी कुछ जफ़ा हो,
न हम चाहते है ,न दिल चाहता है 

तुम्हारी मोहब्बत मेरी जिंदगी है 
तुम्हारी इबादत , मेरी बंदगी  है 
तुम लेती हो साँसें ,धड़कता मेरा दिल ,
इतनी दीवानी ,मेरी आशिक़ी है 
कभी जिंदगी में ,खफा तुमसे होना ,
न हम चाहतें है न दिल चाहता है  

कभी जिंदगी में ,तुम्हे गम न आये 
तुम्हे दर्द हो ऐसा मौसम न आये 
हमेशा बसंती ,फ़िज़ा खुशनुमा हो 
फूलों सा चेहरा सदा मुस्कराये 
कभी भी तुम्हारी ,खुशियों को खोना,
न हम चाहते है ,न दिल चाहता है 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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