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गुरुवार, 6 अगस्त 2015

संवदेनशीलता

        संवदेनशीलता

थोड़ी सी बारिश हुई,और हम भीग गए ,
      थोड़ी सी सर्दी पडी ,और हम ठिठुराये
थोड़ी सी गर्मी में ,पसीने में तर हुए,
       लू के थपेड़ों से ,हम झट से कुम्हलाये
थोड़ी सी पीड़ा ने ,विचलित हमें किया ,
       आँखों ने नम होकर ,आंसू भी बरसाए
खबर कोई अच्छी सी ,अगर कहीं से आयी ,
      हुआ मन आनंदित  ,खुश हो हम  मुस्काये
हम उनको पाने की,कोशिशें करते है ,
      वो हमको हो जाते ,जब तक हासिल  नहीं
नहीं अगर वो मिलते ,टूट टूट जाता दिल,
          और तुम कहते हम,संवेदनशील   नहीं 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

2 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...

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