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रविवार, 30 अगस्त 2015

फितरत

               फितरत

बदलना होता है मुश्किल,किसी इंसान की फितरत,
             करो तुम लाख कोशिश पर ,नहीं बदलाव आएगा
अगर वो स्वर्ग भी जाए ,मिले जो अप्सराएं तो,
              बड़ा शालीन ,शरमा कर,बहन जी ,कह बुलाएगा
और जो चलता पुर्जा है,हमेशा मस्त मौला है,
               हरेक हालात में वो,मौज मस्ती  ढूंढ  लाएगा
नरक में भी उबलता तेल ,देखेगा कढ़ाहों में,
               कहीं से मांग कर बेसन ,पकोड़े तल के खायेगा

मदन मोहन बाहेती'घोटू'  

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