एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

सोमवार, 27 जुलाई 2015

दो बद्दी वाली चप्पल

  दो बद्दी वाली चप्पल

यह दो बद्दी वाली चप्पल
सस्ती,टिकाऊ,नाजुक,मनहर
चाहे  बजार या  बाथरूम,
ये साथ निभाती है हरपल
चाहे नर हो चाहे नारी ,
सबको लगती प्यारी,सुन्दर
ना मन में कोई भेदभाव ,
सब की ही सेवा में तत्पर
सब को आजाती ,कोई भी,
पावों में डाला,देता चल
गन्दी होती तो धुल जाती,
और बहुत दिनों तक जाती चल
हम भी इसके गुण  अपनायें ,
और काम आएं सब के प्रतिपल
वो ही मृदु सेवाभाव  लिए,
सबकी  सेवा में रह तत्पर
गर्मी में पैर न जलने दें,
उनको ना  चुभने दें पत्थर
हम साथ निभाएं,काम आएं
यह जीवन होगा तभी सफल

घोटू

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-