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गुरुवार, 16 अक्तूबर 2014

           मेरी अभिलाषा

खुदा  की बस इतनी रहमत चाहिए 
सबको आपस में मोहब्बत चाहिए
हमको केवल इतनी दौलत चाहिए
रहने को घर  और एक छत चाहिए 
तन को ढकने वस्त्र बस दो चाहिए
सोने को खटिया या बिस्तर चाहिए
जिंदगी के इस सफर को काटने ,
एक सच्चा हमसफ़र  पर चाहिए
पेट भरने चार रोटी है बहुत ,
नहीं हमको हलवा पूरी चाहिए
और कुछ सुविधा मिले या ना मिले,
घर में शौचालय  जरूरी  चाहिए
अगर घर में जो रहेगी स्वच्छता ,
अच्छी तंदुरुस्ती और सेहत आएगी
अच्छा तन मन जो रहेगा ,हमेशा,
जिंदगानी ख़ुशी से  भर   जाएगी

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