एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

गुरुवार, 10 जुलाई 2014

जीवन में कितने अवसर है

     जीवन में कितने अवसर है

जीवन में कितने अवसर है
कैसे,किसका ,लाभ उठायें,
ये सब अपने पर निर्भर है
सूरज वही,धूप भी  आती
चुभती कभी,कभी मन भाती
दिन में तपन,शाम को ठंडक
लेते कभी उसे बादल ढक
कैसे उसका लाभ मिलेगा ,
यह सब मौसम पर निर्भर है
जीवन में कितने अवसर है
हरेक जिस्म का अपना जादू
हर तन की है अपनी खुशबू
हरेक होंठ का स्वाद अलग है
हर क्षण का उन्माद अलग है
पर जब मिलते है दो प्रेमी ,
बहता मधुर प्यार निर्झर है
जीवन में कितने अवसर है
इस दुनिया में सौ सौ दुःख है
इस जीवन में सौ सौ सुख है
दुःख में हम खुद को तड़फ़ाते
या फिर सुख का मज़ा उठाते
कैसे किसका लाभ उठाये,
ये  निर्णय लेना हम पर है
जीवन में कितने अवसर है
लाख महल बांधो सपनो के
लेकिन जब मिलते है मौके
यदि तुम हिचकेऔर घबराये
लाभ समय पर उठा न पाये
वक़्त निकल जाता ,रह जाते,
हम अपने हाथों को  मल है
जीवन में कितने अवसर है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-