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रविवार, 27 अप्रैल 2014

सुख-साली का

            सुख-साली का

शादी तो सबकी होती है,सबको मिलती घरवाली है
पर वो खुश किस्मत होते, जिनको मिलती छोटी साली है
है लाड़ लड़ाती सासूजी,और साली सेवा करती है
सीधी  ना टेढ़ी मेढ़ी पर  ,साली रस भरी इमरती है
यदि पत्नी दूध उबलता है, साली ,लस्सी,ठंडाई है
सालीजी चाट चटपटी है ,यदि बीबी मस्त मिठाई है
पत्नी यदि हलवे सी ढीली,साली कुरमुरी पकोड़ी है
बीबी ताँगे  में जुती  हुई,तो साली अल्हड घोड़ी  है
पत्नी दीपक दीवाली का ,साली फुलझड़ी ,पटाखा है
चंचल,चुलबुली चपल,सुन्दर हंस दिल पर डाले डाका है
बीबी हो जाती गोल बदन,साली गुलबदन ,नवेली है
बीबी तो बस दिनचर्या  है ,साली नूतन  अठखेली है
पहले 'जी'कहती ,और फिर 'जा',फिर शरमा कर'जी' कहती है
 अंदाज निराला होता  है ,जब वो 'जीजाजी ' कहती है
उससे मिल कर हर जीजा की,तबियत फूलों सी खिलती है
बीबी है घर का माल मगर,साली बोनस में मिलती है
 ये लोग कहा करते  ,साली ,होती आधी घरवाली है
तो  मेरी दो घरवाली है, एक बीबी है,दो साली है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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