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गुरुवार, 13 मार्च 2014

दो छक्के

             दो छक्के
                   १
जब भी है हम देखते,चेहरा कोई हसीन 
लगता है लावण्यमय ,सुन्दर और नमकीन
सुन्दर और नमकीन,पास जा प्यार जताते
मिलता मीठा स्वाद और मीठी सी  बातें
कह घोटू कविराय समझ में ये ना आता
लज्जत भरी मिठास,हुस्न नमकीन कहाता
                           २
पत्नी हथिनी की तरह, पति तिनके से क्षीण
अब ये तुम्ही समझ लो ,किसके ,कौन अधीन
किसके कौन अधीन ,अगर पत्नी हो पतली
और मोटे पतिदेव ,मगर हालत है पतली
खरबूजे पर छुरी गिरे ,छुरी पर खरबूजा
पर कटता हर बार ,बिचारा पति ,खरबूजा

घोटू  
 

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