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शनिवार, 4 जनवरी 2014

कौन आया ?

     कौन आया ?

सोई थी मैं ,द्वार किसने खटखटाया
                            कौन   आया?
पा अकेला ,सताने मिला मौका
याद तुम्हारी पवन का बनी झोंका
और उसने हृदयपट को थपथपाया
                            कौन आया ?
मूर्त होकर ,मिलन के सपने सुहाने
लगे उचटा ,नींद से मुझको  जगाने
बावरा,बेसुध हुआ,मन डगमगाया
                           कौन आया?
मधुर यादें,मदभरी  बौछार बन के
भिगोने मुझको लगी है प्यार बन के
बड़ी ठिठुरन ,मिलन को मन,कसमसाया
                                    कौन आया ?
या कि फिर विरहाग्नि की तीव्र लपटें
आगई ,मुझको जलाने ,सब झपट के
मुझे तो हर एक मौसम ने सताया
                            कौन आया ?
रात पूनम की लगी मुझको अमावस
बदलती करवट रही मैं ,मौन बेबस
चमक तारों ने मुझे ढाढस  बंधाया
                             कौन आया ?

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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