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बुधवार, 11 दिसंबर 2013

जनता मारती है वोटों से

        जनता मारती है  वोटों से

पोलिस मारती है सोठों से
रईस     मारते  है नोटों से
बड़ी अदा से मुस्करा कर के ,
हसीन ,मारते है होठों  से
बड़ी जालिम ये मार होती है ,
मज़ा आता है इनकी चोंटों से
 राजनीति ये एक जुआ है,
शकुनी मारते है गोटों से
रोज ही चेहरा बदलते है ,
चाहिए बचना इन मुखोटों से
चुनाव हार बोले नेताजी ,
जनता मारती है वोटों से

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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