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गुरुवार, 28 नवंबर 2013

जलने सभी लगे

              जलने सभी  लगे

घर के चिराग सब के सब ,अब तक थे गुल पड़े ,
                 सूरज को ढलता देख कर ,जलने सभी लगे
दिखलाते थे हमदर्दियां ,बिगड़े  नसीब पर ,
                सूरज जो चमका भाग्य का ,जलने सभी लगे
जब तक नहीं वो पास थे ,हम बेकरार थे ,
                   जीवन था कुछ बुझा बुझा ,मायूस बड़े थे ,
उनने जो छुआ प्यार से,आया करंट यूं,
                    अंगों में आग लग गयी , जलने सभी लगे

घोटू  

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