एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शुक्रवार, 8 नवंबर 2013

बेझिझक आनंद लें हम

      बेझिझक आनंद लें हम

दोस्ती मेरी तुम्हारी       ,दुग्ध जैसी ,शुद्ध पावन
पर झिझक कि खटाई का,ज़रा सा पड़ गया जावन
जम गया है दूध सारा ,बन गया है दही सुन्दर
शीघ्र इसका स्वाद ले लें ,कहीं खट्टा जाय ना पड़
दूध का तो ले न पाये ,दही का ही स्वाद ले लें
मधुर सी लस्सी बनाकर ,क्यों न हम आल्हाद ले लें
नहीं तो मथनी समय की,बिलो कर घृत छीन लेगी
और फिर तो छाछ खट्टी ,सिर्फ ही बाकी बचेगी
और तुमको कढ़ी बनने ,उबलना फिर से पडेगा
दूध के गुण ना मिलेंगे,स्वाद थोडा सा बढ़ेगा
क्यों नहीं फिर दूध का ही ,बेझिझक आनंद लें हम
या दही उसका जमा दें,नहीं फटने ,मगर दें हम

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-