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रविवार, 18 अगस्त 2013

गोवर्धन पूजा

गोवर्धन पूजा

कृष्ण ,कभी धरती पर आना 
और कहीं जाओ ना जाओ,पर गोवर्धन निश्चित जाना
वो गोवर्धन ,जिस पर्वत पर ,गोकुल का पशुधन चरता था
दूध ,दही से और मख्खन से ,ब्रज का हर एक घर भरता था
छुडा इंद्र की पूजा तुमने ,जिसकी  पूजा  करवाई थी
होकर कुपित इंद्र ने जिससे ,ब्रज पर आफत बरसाई थी
वो गोवर्धन ,निज उंगली पर,जिसको उठा लिया था तुमने
ब्रज वासी को जिसके नीचे ,बैठा ,बचा लिया था तुमने
देखोगे तुम ,इस युग में भी ,पूजा जाता है गोवर्धन
करते  है उसकी परिक्रमा,श्रद्धानत हो,कई भक्त जन
दूध सैकड़ों मन ,उसके मुख पर है लोग चढ़ाया करते
इतना गोरस ,व्यर्थ नालियों में है रोज बहाया  करते
देखोगे तुम,ये सब,शायद ,तुमको भी  अच्छा न लगेगा
इतना दूध,बहाना ऐसे ,गोधन का अपमान लगेगा
थोडा दूध,प्रतीक रूप में ,गोवर्धन पर चढ़ सकता है
बाकी दूध ,कुपोषित बच्चो का भी पोषण कर सकता है
अगर प्रेरणा ,तुम दे दोगे ,यह रिवाज़ सुधर जाएगा
मनो दूध,भूखे गरीब सब ,बालवृन्द को मिल जाएगा
पण्डे और पुजारी जितने भी है ,उनको तुम समझना
कृष्ण कभी धरती पर आना

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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