एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

गुरुवार, 22 अगस्त 2013

हुस्न का जादू

         हुस्न का जादू

तुम्हारे हुस्न का जादू ,चला है मेरे सर चढ़ कर
नहीं दुनिया में कोई भी,हसीं है तेरे से बढ़ कर
दिखा कर नाज़ और नखरे,हमारा दिल जलाती हो
कभी जाती लिपट और फिर छिटक के भाग जाती हो
बड़ी मादक  सी अंगडाई ,सवेरे उठ के जब लेती
कई छुरियां चलाती हो ,कलेजा चीर तुम देती
हमें बाहों में भर कर के ,नशा ,उन्माद भरती हो
और फिर छोडिये जी की,खुद  फ़रियाद करती हो
 बड़ी ही स्वाद ,प्यारी और मीठी ,चाकलेटी  हो
लगी हो जबसे होठों से,उतर की दिल में बैठी हो
अदाएं और जलवों से ,हमें बेबस भी करती हो
मज़ा भी पूरा लेती हो,और बस बस भी करती हो
ये सब अंदाज़ तुम्हारे,गजब के है,अजब से है
तुम्हारे इश्क में  पागल,दीवाने हम तो कब से है

मदन मोहन बाहेती'घोटू;

1 टिप्पणी:

  1. हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} के शुभारंभ पर आप को आमंत्रित किया जाता है। कृपया पधारें आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा |

    जवाब देंहटाएं

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-