एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

गुरुवार, 23 मई 2013

वाटर ऑफ़ गेंजेस

   

जादूगर,अक्सर एक जादू दिखाते रहते है
जिसे वाटर ऑफ़ गेंजेस कहते है
जिसमे जादूगर एक खाली बर्तन दिखाता है
थोड़ी देर में उसमे पानी भर आता है 
वो उसे फिर खाली कर देता है
और जादू से ,थोड़ी देर में फिर भर देता है
इस तरह बर्तन खाली होता और भरता  रहता है
पूरे खेल तक ये सिलसिला चलता रहता है   
माननीय मनमोहनसिंह जी के हाथ
नौ बरस पहले आया था खाली गिलास
उन्होंने जादूगर की तरह उसे पानी से भर दिया
पर कामनवेल्थ गेम के घोटाले ने उसे खाले कर दिया
उन्होंने जादू  से फिर भरा
अबकी बार टू जी के घोटाले ने खाली करा
अगली बार फिर भरा
तो कोल गेट ने खाली करा  
पिछले नौ साल से ये ही सिलसिला चल रहा है
गिलास खाली हो हो कर भर रहा है
गिलास अब भी खाली का खाली है ,
पर कोई बात ना चिंता की है
'वाटर ऑफ़ गेंजेस 'का खेल ख़तम होने में ,
एक बरस बाकी है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-