एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

बुधवार, 17 अप्रैल 2013

विवाह संस्कार

              विवाह संस्कार

बड़े प्यार से  पाला  पोसा ,बड़ी  हुई  तो  दान  कर  दिया
पहुँच पिया घर ,अपना तन मन,मैंने पति के नाम कर दिया 
कल तक मात पिता थे प्यारे ,और अब साजन ,बसे हुये मन
बचपन सारा, जहाँ गुजारा , लगे  पराया  सा वो    आँगन
केवल फेरे ,सात अगन के ,इतना   सब कुछ  कर देते है
देते छुड़ा ,  बाप माँ का घर  ,एक दूसरा   घर     देते   है
कुछ रीतों से , और मन्त्रों से ,जीवन भर का बंधन  बंधता
यह विवाह के ,संस्कार की ,कितनी सुन्दर ,धर्म व्यवस्था

घोटू 

2 टिप्‍पणियां:

  1. सदियों की व्यवस्था ,,,, समाज में प्रचलित व्यवस्था ...
    पर मन तो मन है ...

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह जी वाह लाजवाब |

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

    जवाब देंहटाएं

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-