एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

बुधवार, 17 अप्रैल 2013

सस्ता सोना -मंहगा सोना

       सस्ता सोना -मंहगा सोना

एक तरफ ये कहती सोना ,आजकल सस्ता हुआ ,
और दूजी तरफ कहती ,      नींद है आती   नहीं
तुमको भी अब लग गये  सब ,अमीरों के शौक है ,
सस्ती चीजें हो अगर तो ,वो पसंद   आती नहीं 
उसपे ,सोने से बदन को ,सजाने के वास्ते,
सोने के जिद पर  अड़ी हो,तुमको सोना चाहिये ,
मै जो सोने की कहूं तो ,नखरे दिखलाने लगो,
सोना जब तक ना दिला दूं ,पास तुम आती नहीं

घोटू 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-