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रविवार, 3 मार्च 2013

सादर ब्लॉगस्ते!: शोभना फेसबुक रत्न सम्मान प्रविष्टि संख्या - 14

सादर ब्लॉगस्ते!: शोभना फेसबुक रत्न सम्मान प्रविष्टि संख्या - 14: ग़ज़ल सोचो तुम तन्हाई में  लुटते हम दानाई में । उथले जल में कुछ न मिले  मिलता सब गहराई में । दौलत को सब कुछ माना  उलझे ...

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