सर्दी का सन्डे
सन्डे की छुट्टी और सर्दी का मौसम
बड़ा ही सुहाना ये होता है आलम
जल्दी से उठने में आता है आलस
दुबके ,रजाई में,लेटे रहो बस
गुड मोर्निंग का ये तरीका है प्यारा
बिस्तर में मिल जाए,चाय का प्याला
सवेरे सवेरे ,बड़ा मन को मोहे
मिले नाश्ते में ,जलेबी और पोहे
या आलू परांठों को,मख्खन से खाना
और गाजर का हलवा ,लगे है सुहाना
मिले लंच में खाने को ताज़ी ताज़ी
मक्का की रोटी और सरसों की भाजी
दुपहरी में छत पर ,गरम धूप खाना
बीबी और बच्चों से गप्पें लगाना
कभी रेवडी तो कभी मूंगफली हो
गरमा गरम कुछ पकोड़ी तली हो
कभी जामफल तो कभी तिल की चिक्की
कभी पाव भाजी,कभी आलू टिक्की
डिनर में कढी संग,बिरयानी प्यारी
या छोले भठूरे की जोड़ी निराली
और स्वीट डिश में हो ,गुलाब जामुन
यूं ही खाते पीते ,गुजर जाता है दिन
टी .वी में पिक्चर का लेते मज़ा हम
सन्डे की छुट्टी और सर्दी का मौसम
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
नयन स्वयं को देखते न
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नयन स्वयं को देखते न हम हमीं को ढूँढते हैं पूछते फिरते कहाँ हो ?हम हमीं को
ढूँढते हैं पूछता ‘मैं’ ‘तुम’ कहाँ हो ?खेल कैसा है रचाया अश्रु हर क्योंकर
बहाया, ...
23 घंटे पहले
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