खट्टा -मीठा
पत्नी जी बोली मुस्का कर
तुम तो कवि हो मेरे डीयर
अपने मन की परते खोलो
मुझसे कुछ ऐसा तुम बोलो
जिससे मन खुश भी हो जाये
पति बोला क्या बोलूँ प्रियतम
तुम ही तो हो मेरा जीवन
किन्तु मुझे लगता है अक्सर
लानत है ऐसे जीवन पर
घोटू
1409- पता ही खो गया
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*रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’*
*सब भाव खो गए*
* जीवन खो गया अचानक भला ये क्या-क्या हो गया! जब भाव थे मरे, भाषा भी मरी*
*हर बाट हो गई*
*काँटों से भर...
17 घंटे पहले
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