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मंगलवार, 25 दिसंबर 2012

ये प्यारा इन्कार तुम्हारा

       ये प्यारा  इन्कार तुम्हारा

पहले तो ये सजना धजना ,
                      मुझे लुभाना और रिझाना
 बाँहों में लूं ,छोडो छोडो ,
                        कह कर मुझसे  लिपटे  जाना
ये प्यारा  इन्कार  तुम्हारा ,
                     रूठ  रूठ कर के मन   जाना
वो प्यारी सी मान मनोवल ,
                      आकर  पास ,छिटक फिर जाना
इन्ही अदाओं का जादू तो,
                      मन की तड़फ ,आग भड़काता
अगर ना नुकर तुम ना करती ,
                       कैसे मज़ा  प्यार का  आता

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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