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रविवार, 25 नवंबर 2012

कविता

4 टिप्‍पणियां:

  1. वाह मित्र वाह क्या कविता है एक -2 पंक्तियाँ लाजवाब हैं, पढ़कर आनंद आ गया.

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  2. लाजवाब | सत्यता को बयां करती बहुत ही उम्दा रचना | एक-एक पंक्ति में समाज की सच्छाई छुपी हुई है |

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  3. "काव्य का संसार" में आपका हार्दिक स्वागत है | निरंतर इसी तरह सहयोग की आवश्यकता है | आभार |

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  4. वाह आज के हालात का क्या मारमिक वर्णन है । सोने चांदी की दुकां पर रोटियां बिकने लगीं । हर एक शेर जबरदस्त ।

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