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बुधवार, 27 जून 2012

तू इनायत अली

     तू इनायत अली

मेरे मौला तू करता है सबकी भली

तू इनायत अली,तू इनायत  अली
तेरी तारीफ़ के गीत है  गूंजते,
हर गांओं,शहर और मोहल्ले,गली
तू इनायत अली,तू इनायत अली
तू तो नूरजहाँ है,हम खाख है
तू तो अल्लाह है,तू खुदा  पाक है
तेरी रहमत से ही होते दिन रात है
ये जहाँ सारा  तेरी करामात   है
है बड़ी ही अनोखी ये जादूगरी
तू इनायत अली,तू इनायत अली
बीज खेतों में उग कर फसल बनते है
फूल खिलते है,पेड़ों में फल लगते है
सर्दियाँ या गर्मी या  बरसात  है
सारे मौसम बदलना तेरे हाथ है
गिरे पतझड़ में पत्ते,खिले है  कली
तू इनायत अली,तू इनायत अली
ऐसी दुनिया बनायी है तूने खुदा
इतने इंसान है पर सभी है  जुदा
है इतने जनावर,परिंदे   कई
ऐसी कारीगरी देखी  ना कहीं
तूने फूलों में रंगत और खुशबू भरी
तू इनायत अली,तू इनायत  अली
रोज सूरज उगे,बांटता  रौशनी
चांद फैलता रातों में आ चांदनी
टिमटिमाते है तारे,चले  है हवा
हम हैं बन्दे तेरे,तू बड़ा मेहरबां
है तेरे ही इशारों पे दुनियां चली
तू इनायत अली,तू इनायत अली

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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