नाम पर मत जाओ
सूर है सूरज में,सूर याने चक्षु हीन,
सबको पथ दिखलाता,जग मग कर के जगती
सूरज में रज भी है,रज याने धूलि कण,
जा न सके सूरज तक, बहुत दूर है धरती
इसीलिये कहता हूँ,नाम पर मत जाओ,
डंक बड़ा चुभता है,पर बजता है डंका
नाम भ्रमित करते है,माला के दाने का,
वजन एक माशा है,पर कहलाता मनका
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
Trading broker
-
Trading broker
--
Vous recevez ce message, car vous êtes abonné au groupe Google Groupes "Fun
funn".
Pour vous désabonner de ce groupe et ne plus recevo...
7 घंटे पहले
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।