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बुधवार, 22 फ़रवरी 2012

नारी

क्यों भूल जाते हैं उस सत्य को जो,
हर किसी के जीवन का अंश है,
जिसके होने से ही दुनिया है,
देश है,परिवार है और आने वाला वंश है |

उसके जीवित रहने पर दुखी होने वाले इंसान,
क्यों नहीं सोचते वो है एक नन्ही जान |
मार डालते हैं उसे अपने क्रूर हाथों से,
जीवित रहने पर जलाते हैं अपनी कडवी बातों से |

जबकि जानते हैं वही तो लक्ष्मी है,वही तो सरस्वती है,
फिर भी आज तक इस दुनिया में वही होती सती है | 
क्यों न उसे मिलता वह सम्मान है,
जिसके कारन इस दुनिया में जान है |

वह जननी है,वह माता है,वह बेटी है और वही विधाता है,
पर इस बात को कोई क्यों समझ नहीं पाता है ?
वह कल भी सहती थी ,आज भी सहती है,
पर कल न सहेगी,क्यूकि कल की नारी इस दुनिया से अकेली ही लड़ेगी |

रचनाकार-अनु डालाकोटी
उधम सिंह नगर
उत्तराखंड

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