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शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2012

बासन्ती मधुमास आ गया

बासन्ती मधुमास आ गया
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आज प्रफुल्लित धरा व्योम है
पुलकित तन का रोम रोम है
पिक का प्रियतम  पास आ गया
बासंती  मधुमास आ गया
डाल डाल पर ,फुदक फुदक कर
कोकिल गुंजा रही है मधुस्वर
पुष्पित हुआ पलाश केसरी
सरसों स्वर्णिम हुई मदभरी
सजी धरा पीली चूनर में
लगे वृक्ष स्पर्धा करने
उनने पान किये सब पीले
आये किसलय  नवल रंगीले
शिशिर ग्रीष्म की यह वयसंधी
हुई षोडशी ऋतू  बासंती
गेहूं की बाली थी खाली
हुई अब भरे दानो वाली
नाच रही है थिरक थिरक कर
बाली उमर,रूप यह लख कर
वृक्ष आम का बौराया  है
मादकता से मदमाया है
रसिक भ्रमर डोले पुष्पों पर
महकी अवनी,महका अम्बर
मदन पर्व है,ऋतू  रसवंती
आया ऋतू राज  बासंती

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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