एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

मंगलवार, 6 दिसंबर 2011

गजल - दिलबाग विर्क




                        इस दिल ने नादानी में
                   आग लगा दी पानी में ।

                   वा'दे सारे खाक हुए
                   आया मोड़ कहानी में ।

                   तेरी याद चली आए
                   है ये दोष निशानी में ।

                   कब उल्फत को समझ सके
                   लोग फँसे नादानी में ।

                   या रब ऐसा क्यों होता 
                   दुख हर प्यार कहानी में ।

                   टूटा दिल, बहते आँसू
                   पाए विर्क जवानी में ।

                         * * * * *

13 टिप्‍पणियां:

  1. विर्क जी ऐसा ही होता है
    दिल की इस नादानी में .....:))

    सुंदर ग़ज़ल .....

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर प्रस्तुति ||
    बधाई महोदय ||

    शुभकामनाएं --

    जवाब देंहटाएं
  3. छोटी बहर में लिखी कमाल की गज़ल है ... हर शेर पैना पन लिए ...सुभान अल्ला ...

    जवाब देंहटाएं
  4. खूबसूरत प्रस्तुति.

    वाह! वाह! वाह!

    जवाब देंहटाएं
  5. भू वाह ... छोटी बहर की लाजवाब गज़ल ... कमाल का लिखा है ... बधाई ...

    जवाब देंहटाएं
  6. ऐसा ही होता भाई ,हर एक प्रेम कहानी में ,छोटी बहर की सुन्दर ग़ज़ल .

    जवाब देंहटाएं

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-