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मंगलवार, 13 सितंबर 2011

सपनों की दुनिया

सपनों की  दुनिया     

आओ हम कहीं ऐसी जगह चलें 
जहाँ दूर तक खुली फिजां हो 
हरी भरी वादियाँ हो 
नदियाँ और झरने हों 
चहचहाते पंछी और फूल हों 
दूर तक फैली हरियाली हो
आओ हम कहीं ऐसी जगह चलें
जहाँ किसी के चीखने की आवाज ना हो
किसी भूखें बच्चे का रोना ना हो 
किसी औरत की बेबसी ना हो 
किसी पर अत्याचार ना हो 
कहीं भ्रष्टाचार ना हो

आओ हम कहीं ऐसी जगह चलें 
जहाँ हर तरफ शांति सुकून हो 
आपस मैं अपनापन हो 
पुलकित प्रफुलित  चेहरे हों
और जहाँ हो सिर्फ 
प्यार-प्यार-प्यार
            


8 टिप्‍पणियां:

  1. कहाँ है ऐसी जगह ?
    बताओ !भैया !हम भी चलें .

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  2. बहुत बढ़िया रचना और बहुत सुन्दर स्वप्न | काश ऐसी दुनिया संभव हो पाती |

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  3. सुन्दर रचना.
    झाड़खंड से एक और ब्लौगर को देखना अच्छा लगा.

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  4. ummeed aur utsaah hai rachna me...koshihs jaari rahe

    http://teri-galatfahmi.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  5. सबसे पहले आप सबको हिंदी दिवस की शुभकामनायें /आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद की आप सबने हमारी रचना पर इतनी अच्छी टिप्पड़ी की और उसको पसंद किया /आशा है आगे भी आपका आशीर्वाद हमारी रचनाओं को मिलता रहेगा / मेरी नई पोस्ट हिंदी दिवस पर लिखी हुई रचना पर आपका स्वागत है /
    my blog
    www.prernaargal.blogspot.com thyanks

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